तब अपनी पत्नी को चप्पल तक नहीं खरीद सके, आज साल का 18 करोड़ रुपये का बिजनेस करते हैं

हिम्मत करने वालो की कभी हार नही होती। कई इंसान सपने तो बड़े बड़े देखते है, लेकिन उनको पूरा करने के लिए नही। कई व्यक्ति ऐसे होते है, जो सपने देखते है बड़े और उनको पूरा करने का दृढ़ निश्चय भी करते है। इंसान गरीब पैदा हुआ ये उसकी गलती नहीं होती, पर अगर गरीब ही मर जाए, तो ये उसकी गलती है।
हर किसी को सब कुछ नही मिलता है, उसे खुद भी कुछ करना पड़ता है कुछ पाने के लिए। समय किसी का एक जैसा नहीं होता आज ऐसे ही एक खास पर्सनालिटी की बात करने जा रहे है। जिनके धीरज ने आज उन्हें 18 करोड़ (18 Crore) का मालिक बना दिया। वह एक सफल व्यापारी है।
देबाशीष मजूमदार (Debashish Majumdar) के बीते दिनों की यादें बहुत ही बुरी रही। एक समय ऐसा भी था, जब उनके पास उनकी मां के ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं थे। ऑपरेशन तो दूर उनकी पत्नी के लिए एक जोड़ी चप्पल खरीदने के लिए 200 रुपये तक नहीं थे।
गुवाहाटी असम के मोमोमिया के बिजनेस के मालिक जिन्होंने वर्ष 2018 में 110 वर्ग फुट जमीन पर एक दुकान शुरू की। 3.5 लाख रुपये से इस बिजनेस की नींव रखी थी। देबाशीष की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो आज थक कर बैठ गए है “मनके जीते जीत है और मनके हरे हार”। आइये आगे बात करते है देबाशीष के बारे में।
गोवाहाटी के देबाशीष मजूमदार
गोवाहाटी (Guwahati) असम के रहने वाले 34 वर्षीय देबाशीष अपने एक भाषण के दौरान कहते हैं की में पश्चिम बंगाल के हाबरा जिले में मेरा जन्मा हूँ और वही मेरा भरण पोषण हुआ। मेरे जेहन में हमेशा से एक ही बात डाली गई की में एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार का बच्चा हूँ। जो पढाई लिखाई करके एक बैंकर या फिर एक इंजीनियर बनता है और एक डॉक्टर बनना मेरे लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन है।
इन्ही सब से गुजरते हुए बड़ा होकर में एक बैंकर बना। देबाशीष को आज भी वो दिन याद है, जब उन्होंने गुवाहाटी की एक कंपनी में ऑफिस असिस्टेंट के तौर पर पहली नोकरी हासिल की।
26 नवंबर 2005 का वो दिन आज भी मुझे याद है की पहला वेतन मुझे 1,800 रुपये मिलना था। परंतु एक दिन काम करने के बाद घर आकर मैने अपनी माँ से बात की और कहा कि मैं यह नौकरी नहीं करना चाहता परंतु मेरी माँ ने मुझसे आग्रह किया, इसलिए मुझे उस पहली नौकरी में कामयाबी मिली।
अपने सपने के प्रति काफी लगनशील रहे
देबाशीष ने एक कार्यालय सहायक के रूप में भी काम किया वह कहते है कि उनका काफी सारा समय कामों को करते करते बीत गया था। उस समय देवाशीष सभी कांच से बनी केबिनों को देखते और उनमे से किसी भी एक केबिन में बैठने की चाहत रखते।
अपने इस छोटे से सपने को पूरा करने के लिए वो महाप्रबंधक के पास गये और उन्हें अपने सपने के बारे में बताया कि मैं उन केबिनों में से किसी एक केबिन में बैठना चाहता हु। जहाँ AC हो और मै अपने कंप्यूटर पर बैठ कर काम कर सकू यह काफी छोटा सपना था, परंतु मैंने इस पर भी काम किया।
2009 में देबाशीष ने मुख्य लेखाकार के पद से कंपनी को इस्तीफा दिया और फिर वह एक कार्यालय सहायक के मुख्य लेखाकार के रूप में सब के सामने उपस्थित हुये। वे एक अच्छे बैंकर भी रहे और बैंकर के रूप में उन्होंने अपना काफी अच्छा करियर सेट किया था और अच्छे वेतन पर काम करते थे।
देबाशीष कहते है कि मानता हूं की बैंक की नौकरी में पैसा बहुत है, परंतु में उस नोकरी से सेटिस्फाई नहीं था। में एक बिजनेस मेन बनना चाहता हूँ। इस लिए मुझे उस जॉब से संतुष्टि नहीं मिल रही थी।
नोकरी छोड़ने का कारण
शादी के करीब 6 महीने ही हुए थे की देबाशीष ने एक अच्छी खासी नोकरी को छोड़ दिया, क्योंकि उनका सपना एक उद्यमी बनने का था। देबाशीष बताते है कि नोकरी छोड़ने का फैसला मेरे सभी फेसलो से सबसे कठिन फैसला था। मेरी शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था।
मैं एक नवविवाहित था और अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। यह बात आपको अचंभित कर देगी की मेरे परिवार को मेरा विरोध करना चाहिये था, परंतु मेरी माँ और पत्नी ने मेरे निर्णय का सम्मान किया और थोड़ा भी संदेह नहीं किया।
छोटी सी शुरुआत से आज बने करोडो के मालिक
देबाशीष ने 2017 में अपना पहला बिज़नेस आरंभ किया था। जो एक आइसक्रीम का बिज़नेस (Ice Cream Business) था, परंतु उन्हें इस बिज़नेस में सफलता हासिल न हुई और यह बिज़नेस आगे नहीं बढ़ पाया। उस समय उन्हें करीब 10 लाख रुपये का घाटा हुआ। यह एक काफी बड़ा नुकसान था उनके लिए। उस वक़्त भी उनकी माँ और पत्नी ने उनका साथ दिया और उन्हें हौसला भी दिया।
उनका हौसला कम नही हुआ। उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह मोमोस का बिजनेस करने का आईडिया आया वह कहते है कि जब मैं गुवाहाटी में एक दुकान पर घूम रहा था। तब मेरे दिमाग में आया की मैं मोमोस का बिजनेस कर सकता हु। लगभग 3.5 लाख रुपये का ऋण 10 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ बैंक से लोन लिया।
आइसक्रीम की दुकान को किया बन्द और वर्ष 2018 में मोमोमिया (Momomia) लॉन्च कर दिया। वे कहते है कुछ भी सरल नहीं होता था। परंतु देबाशीष अपने विचार पर अडिग रहे और मोमोमिया को एक सफल व्यापर में तब्दील कर दिया और आज यह बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा है।