ऐसी माँ, जो बिना जन्म दिए 150 बेटियों की मां बनी, 30 साल की उम्र में सभी बेटियो का खर्च उठा रही

ऐसी माँ, जो बिना जन्म दिए 150 बेटियों की मां बनी, 30 साल की उम्र में सभी बेटियो का खर्च उठा रही

Barmer: हमारे समाज में कुछ ऐसे परिवार है, जो गरीब है और उनके परिवार में एक से ज्यादा बेटियां है, ऐसे परिवार को अपनी ही ओलाद बोझ लगने लगती है। गरीबी होती ही ऐसी है, जो अच्छे से अच्छे इंसान को तोड़ कर रख दें। हर माँ बाप सोचते है कि उनकी बेटी की शादी एक अच्छे घर में हो। उनकी बेटी हमेशा खुश रहे, वह यही चाहती है, परंतु समाज की रसम उन्हें झुका देती है।

ऐसे गरीब परिवार का मसीहा बनी लीलाबाई, जो की एक किन्नर संघ से है। ये जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा, परंतु यह सच है किन्नर लीलाबाई (Kinnar Leelabai) की उम्र करीब 30 वर्ष है और यह आज 150 बेटिओं की माँ है और उनका पालन पोषण कर रही है। किन्नर को समाज से भिन्न माना जाता है। लोगो के मन में उनके प्रति एक अलग ही अवधारणा होती है, परंतु उन्हें भी भगवान ने बनाया है।

गरीबी में पली बढ़ी बेटियों को विदा करने के लिए मां-बाप के पास कुछ नहीं होता था, तो किन्नर लीलाबाई एक मां का कर्तव्य निभाती है। ये बेटियों को गोद लेकर उनकी शादी ब्याह तक का खर्चा खुद उठती है। दहेज में डालने के लिए सामान से लेकर पूरी शादी में हुआ खर्च भी वह स्वयं देखती है। आइये और जानते है लीलाबाई के बारे में।

गरीब बेटी के फर्ज पुरे करने में मिलता है सुकून

आज से करीब 30 वर्ष पूर्व लीलाबाई की बस्ती के पास एक गरीब परिवार रहता था। उनके घर एक बेटी थी, उन्होंने देखा की यह परिवार बेटी के संस्कार पूरा करने में असमर्थ है, तो लीला भाई ने उनकी बेटी को गोद लिया। फिर उसकी शादी करवाई। उन्हें यह कार्य करने पर एक सुकून का अहसास हुआ।

इसके बाद उन्होंने बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर के साथ साथ जिल के अंदर जितने भी गरीब परिवार की बेटी के बारे में सुनती, तो उनसे मिलकर बेटी की सारी जिम्मेदारी स्वयं ले लेती। पढ़ाई लिखाई से लेकर शादी-ब्याह का खर्चा भी लीला बाई ही देखती है।

किन्नर लीला बेटियों के लिए एक मां बन कर सामने आई, इसलिए बेटियां भी उन्हे याशोदा माँ की तरह मानती है। इन्ही कारणों से ब्याही गई बेटियां आज भी मायके आती हैं, तो घर जाने से पहले वह अपनी यशोदा माँ से मिलकर उनसे आशीर्वाद लेकर घर जाती है।

बेटियो के पालन पोषण के साथ करती है गौ सेवा

लीलाबाई का यह सफर तीस साल पहले शुरू हुआ था। तब से लेकर आज तक लीलाबाई की 150 से अधिक बेटिया है, जो उन्होंने गोद ली हुई है और उनकी जरूरत के हिसाब से शादी-विवाह का खर्च उठाया है।

लीलाबाई कहती है कि भविष्य में जब तक जिंदा है। वह इसी प्रकार से बेटियों की सहायता करेंगी। इसके साथ ही लीला बाई गाय माता का संरक्षण भी करती है। उनकी दुआओं से मिली राशि का एक हिस्सा वह गो सेवा के लिए रखती है। गौ माता के खाने के लिए हरा चारा और पानी की व्यवस्था वह स्वयं करती है।

किन्नर समाज की अध्यक्ष है लीलाबाई

बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर में लीलाबाई किन्नर समाज की अध्यक्ष भी है। उनके घर में काफी सारे शिष्य भी रहते हैं। जिनको लीलाबाई समाज से जुड़कर उनके सुख-दु:ख को बांटने और उनको हिम्मत देने की सीख देती है।

लीलाबाई गरीब बेटियों के साथ ही बेसहारा की मदद के लिए हमेशा आगे रहती हैं। लीलाबाई अपना जीवन एक सेविका के रूप में बिता रही है। लीला एक कच्ची बस्ती में रहती है उनके आस पास काफी सारे दिहाड़ी मजदूर व आर्थिक हालात से कमजोर परिवार रहते हैं, जो 2 समय का भोजन की व्यवस्था कर ले वही बहुत होगा।

लीलाबाई एक अच्छी समाज सेविका भी है

बहुत सी जगहों में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते छोटी सी उम्र में बालश्रम करने पर मजबूर हो जाते है। लीलाबाई ऐसे बच्चों के लिए स्कूल फीस, किताबें, पोशाक व जूते लेती है और उन बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लीला बाई लेती हैं।

समय समय पर जरुरत की चीज़ें लीला बाई गरीब बच्चों के लिए उपलब्ध कराती कच्ची बस्तियों वाले स्कूलों में सर्दी के मौसम में स्वेटर, जूते, पोशाक व पाठ्य सामग्री आदि दान करती है। गायों के चारा-पानी के लिए भी लीलाबाई अपनी कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा दान में देती है। इस लिए लोग किन्नर लीलाबाई के नाम के आगे गोभक्त लगा कर उन्हें संबोधित करते है। लीला बाई हमारे समाज के लिए मिशाल है।

pinal

Leave a Reply

Your email address will not be published.